Monday 25 July 2011

मेहनत से तय किया साइकिल से सोलर पावर तक का सफर


गांव वालों के वो शब्द आज भी कानों में गूंजते हैं। वो शब्द थे किसान का बेटा है किसान ही बनेगा। पढ़ाई करके क्या करेगा हल ही तो जोतना है। लेकिन इन शब्दों को विश्वास से भरे कुछ शब्द काटते थे। वो शब्द थे किसान के बेटे है पर कारखाना मालिक बनेंगे। यह शब्द थे उस पिता के जिनका सपना था कि उनके बेटे अपना कारखाना लगायें न कि उनकी तरह सिर्फ एक किसान ही बनकर जीयें।


इस पिता के बेटे आज ऐसे ग्रुप को चला रहे हैं, जिनकी साइकिलें देश में ही नहीं बल्कि विश्व के 50 देशों में भी बिक रही हैं। यह ग्रुप है हाईबर्ड सफारी ग्रुप। जिसमें सात कंपनियां चल रही हैं। सालाना तकरीबन 150 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले इस ग्रुप के चेयरमैन हैं आर.डी. शर्मा।



हाईबर्ड सफारी ग्रुप के चेयरमैन आर.डी. शर्मा बताते हैं कि उनका परिवार बठिंडा के एक पिछड़े से गांव तालब वाला का रहने वाला है। उनका पुश्तैनी काम किसानी था। उनके पिता जो संस्कृत के विषय में पोस्ट ग्रेजूएट भी थे व चारो भाइयों ने खेतों में मेहनतकश किसान के रूप में काम किया है।


अपने गांव में उनका परिवार पहला था, जो ग्रेजुएशन तक की शिक्षा हासिल कर पाये थे। दो बार आईएएस की परीक्षा पास करने के बाद भी जब वे आईएएस अफसर नहीं बन सके तो एक बार तो बिल्कुल निराश हो गये थे। फिर आगे बढऩे का फैसला किया। कुछ समय नौकरी करने के बाद उनकी मंजिल लुधियाना बन गया। और यहीं से कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया।



आर.डी. शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने पत्नी के जन्मदिन के दिन ८ अगस्त 1994 में सफारी इंटरनेशनल के नाम पर एक छोटे से निर्यातोन्मुखी यूनिट के रूप में अपना कारोबार शुरु किया। इसके लिये उन्होंने जैसे-तैसे ८० हजार रुपये का निवेश किया। करीब पांच साल तक वे इसी कारोबार में जुटे रहे। वे विदेशों में ऑर्डर हासिल करने में लगे रहते थे तो उनकी पत्नी ऑफिस संभालने एवं उत्पादों का निर्यात करने की जिमेदारी संभाल रही थी।


इसके बाद १996 में पहले साइकिल उत्पादन यूनिट की शुरुआत कर दी। साइकिल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुये वे आगे बढ़ते चले गये। आज हाईबर्ड सफारी ग्रुप में सफारी बाइक लिमिटेड, हाई-बर्ड साइकिल, सफारी इंटरनेशनल, हाईबर्ड साइकिल चाइना, हाईबर्ड साइकिल यूके, केवीके इंडस्ट्रीज एवं केशव इंडस्ट्री नामक कंपनियां चल रही हैं।


उन्हें खुशी है कि जिस कारोबार को उन्होंने ट्रेडिंग के रूप में ८० हजार रुपये से शुरु किया था, वो आज 150 करोड़ रुपये का मैन्युफैक्चरिंग ग्रुप बन गया है। अब उनके ग्रुप में साइकिल, साइकिल पाट्र्स, ई बाइक एवं आटो पार्टस का उत्पादन हो रहा है। सफारी ब्रांड अफ्रीका में अपना नाम स्थापित कर चुका है, वहीं हाईबर्ड ब्रांड की उच्च तकनीक यूरोप व भारत में अपने पैर जमा चुकी है। कंपनी के उत्पादन यूनिट की मौजूदा समय में क्षमता 20 लाख साइकिल वार्षिक है।


कंपनी मौजूदा समय में 140 मॉडल बना रही है, जिसे 2,000 डीलरों के नेटवर्क के जरिये विभिन्न हिस्सों में बेचा जा रहा है। इसके अलावा कंपनी ईको रिक्शा निर्यात में प्रसार कर रही है। वहीं घरेलू बाजार में ई-बाइक का कारोबार बढ़ाने में जुटी हुई है। शर्मा बताते हैं कि इस पूरे कारोबार को आगे बढ़ाने में उनके छोटे भाई सुरेश शर्मा ने काफी मेहनत की है। वे उत्पादन से लेकर रिसर्च एवं टेक्नोलॉजी तक की जिमेदारी बाखूबी निभा रहे हैं।


आर.डी. शर्मा के मुताबिक ग्रुप का ध्यान अब एग्रो फूड एवं पावर सेक्टर में कारोबार बढ़ाने पर लगा हुआ है। ग्रुप अपने कारोबार में विस्तार के लिये जल्द ही एग्रो फूड एवं सोलर पावर सेक्टर में भी उतरने की तैयारी कर रहा है। ग्रुप ने आईपीओ के जरिये पैसा जुटाने की योजना बनाई है। कंपनी अगले साल तक करीब 100 करोड़ रुपये का आईपीओ भी लाने की तैयारी कर रही है।



आर.डी. शर्मा कहते हैं कि उनके लिये वर्ष 2,000 गौरव का साल रहा, जब उन्हें १५० देशों की क्वालिटी कन्वेंशन में विश्व स्तरीय क्वालिटी के लिये पेरिस में इंटरनेशनल यूरोप अवार्ड मिला। इसके बाद ग्रुप को एक साल बाद ही जेनेवा में इंटरनेशनल स्टार अवार्ड फॉर क्वालिटी हासिल हुआ।
शर्मा के मुताबिक वे अकेले ऐसे भारतीय साइकिल निर्माता हैं, जिन्होंने गुणवत्ता के दम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दो अवार्ड हासिल किये हैं। इसके बाद वर्ष 2005 में भारत सरकार ने भी समूह को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा।


इसके अलावा बेस्ट सिटीजन ऑफ इंडिया, नेशनल इंडस्ट्रीयल एक्सीलेंस अवार्ड एवं भारतीय उद्योग रत्न अवार्ड जैसे दर्जन भर से ज्यादा सम्मान इंडस्ट्रियल गुणवत्ता एवं विकास पर हासिल कर चुके हैं। यूरोपीयन देशों का स्टैंडर्ड सीई मार्किंग हासिल करने वाली भी उनकी इकलौती साइकिल कंपनी है।

Source: Bhaskar.com