मुंद्रा। हमारे शरीर के किसी भी अंग में जरा सी तकलीफ पैदा हो जाए तो हरेक काम मुश्किल लगने लगता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके लिए शारीरिक अपंगताएं मायने नहीं रखतीं। शायद इस बात को साबित करने के लिए गुजरात, मांडवी के रहने वाले विजय पोपटलाल चौहाण का उदाहरण सटीक बैठता है।
लगभग 24 साल पहले एक दुर्घटना में हाथ गंवा देने के बाद भी विजय ने हार नहीं मानी और अपनी अपंगता को खुद पर हावी नहीं होने दिया। पिछले 24 वर्षों से वे एक हाथ से ही दर्जी का काम करते आ रहे हैं, जिस काम में दोनों हाथों की बहुत आवश्यकता होती है।
60 की उम्र में भी वे बटन टांकने से लेकर कपड़ा काटने और सिलने का काम बखूबी कर लेते हैं। उनकी तीन संतानें हैं, जिसमें दो बेटियों की शादी हो चुकी है और एक बेटा, जो अब उनके काम में हाथ बंटाता है। विजयजी एक मिसाल हैं, उन लोगों के लिए जो जिंदगी से जल्द हार मान जाया करते हैं। मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं, बस खुद पर विश्वास होना चाहिए।
किसी शायर ने बिल्कुल सही कहा है:
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है।।
डरने वालों को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में,
लडऩे वालों के कदमों में सारा जहां होता है।।
... तो क्यों न इस हौसले को सैल्यूट करने को दिल चाहे!
Source: bhaskar.com
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