ऐसे
में गांव की कक्षा पांचवीं तक पढ़ी 50 वर्षीय निर्मला विदेही ने इस कथित
परंपरा को तोड़ने की ठानी। उसने महिलाओं की समिति बनाई। पीएचई के रिटायर
इंजीनियर की मदद से वॉटर सप्लाई का प्लान तैयार किया और गांव में पानी
पहुंचाकर ही दम लिया। आज जबलपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर नर्मदा किनारे बसे
इस रमनगरा गांव के 217 में से 80 फीसदी घरों में पानी पहुंच चुका है।
ऐसे बदली तस्वीर
गांव
में पानी पहुंचाने के लिए विदेही ने 2008 में चार महिलाओं की समिति बनाई।
चारों ने गांव की अन्य महिलाओं से 200-200 रुपए जमा कर 30 हजार रुपए की
पूंजी जुटाई। इसके बाद 11 सदस्यीय रमनगरा उदय समिति का गठन किया गया। समिति
ने पीएचई से रिटायर्ड एक इंजीनियर आरपी साहू को बुलाकर तकनीकी पक्ष समझा
और वाटर सप्लाई प्लान तैयार कराया।
अब
समस्या यह थी कि नर्मदा तट से गांव तक पाइप लाइन बिछाने पैसा तो था लेकिन
पानी की टंकी का इंतजाम नहीं था, ऐसे में गांव की ही पार्षद रुक्मणि गोटिया
और तत्कालीन महापौर सुशीला सिंह ने समिति की मदद के लिए प्रोजेक्ट उदय के
अफसरों को गांव भेजा। तब प्रोजेक्ट उदय से टंकी तैयार हुई और आज घरों में
पानी पहुंच रहा है।
समिति
ने हर घर से नल कनेक्शन के लिए 1200 रुपए जमा कराए। अब हर घर से 80 रुपए
शुल्क लिया जाता है। रमनगरा में समिति द्वारा शासन के आर्थिक सहयोग से अब
हर घर में शौचालय बनवाया जा रहा है। बैंक में अब इतनी रकम है कि जरूरत
पड़ने पर महिलाओं को बहुत कम ब्याज पर लोन दिया जा रहा है।
सीएम से मांग ली रिसीविंग
मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान एक बार इस गांव से गुजर रहे थे। तब निर्मला के नेतृत्व
में महिलाओं ने उनके काफिले को रोक लिया था। चौहान ने महिलाओं से बात की और
आर्थिक सहायता के लिए आवेदन लिया। मुख्यमंत्री आवेदन लेकर जाने लगे तो
निर्मला ने रिसीविंग मांगी। मुख्यमंत्री ने बाकायदा उन्हें रिसीविंग दी।
Source: bhaskar.com