पेट
पालने के लिए कभी रिक्शा चलाने वाला अब निर्यातक बनने जा रहा है। एलोवेरा
और आंवला की खेती और स्वयं की ओर से इजाद की गई मल्टीपरपज फूड प्रोसेसिंग
मशीन के जरिए दो लाख रुपये प्रति माह कमाने वाला हरियाणा के यमुनानगर का
किसान धर्मवीर जल्द ही अपनी मल्टीपरपज फूड प्रोसेसिंग मशीन का निर्यात
केन्या और नाइजीरिया को करने जा रहा है।
सेंट्रल
इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीफेट) की ओर
से बुधवार को आयोजित कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी में भाग लेने आए धर्मवीर
ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। धर्मवीर के मुताबिक वह दिल्ली में रिक्शा
चलाता था और रोज उसकी आमदनी 300 रुपये थी।
एक्सीडेंट
में घायल होने के बाद वह गांव लौटा आया और औषधीय खेती करने लगा। जिला
बागवानी बोर्ड के सहयोग से वह एक बार अजमेर और पुष्कर दौरे पर गया, जहां
उसने आंवला के लड्डू और एलोवेरा का जूस निकालने की विधि सीखी।
इसके
बाद 2006 से धर्मवीर ने अपने खेत में एलोवेरा और आंवला की खेती शुरू की।
एलोवेरा का जूस हाथ से निकालने में काफी दिक्कतों के चलते धर्मवीर को एक
ऐसी मशीन बनाने की सूझी, जिसमें गूदा भी निकल आए और दूसरे काम भी आसानी से
हो जाएं। इसी सोच के जरिए धर्मवीर ने इजाद कर डाली पोर्टेबल मल्टीपरपज
प्रोसेसिंग मशीन।
एलोवेरा
से जूस और जेल बनाने के अलावा इस मशीन से बिना गुठली तोड़े आंवला और जा
मून का चूर्ण, जीरा, धनिया और गुलाब का अर्क निकाल सकते हैं। मैंगो शेक,
टोमैटो सॉस, चिली सॉस और संतरा का रस भी आसानी से बनाया जा सकता है।
धर्मवीर ने बताया कि इस मशीन का इस्तेमाल एक बड़े प्रेशर कुकर के रूप में
भी किया जा सकता है। इतनी सारी खूबियों वाली इस मशीन की कीमत 1,35,000
रुपये है।
नेशनल
इनोवेशन फाउंडेशन अहमदाबाद और राष्ट्रीय बागवानी मिशन के सहयोग से धर्मवीर
अब तक कुल 62 मशीनों की बिक्री कर चुके हैं और जल्द ही उनकी यह मशीन
केन्या और नाइजीरिया भी जाने वाली हैं। धर्मवीर ने बताया कि दो माह पहले इन
देशों के एक दल ने उनके फार्महाउस का दौरा किया था और वहीं इस मशीन को
खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखाई थी। अभी केन्या के लिए ऐसी दो मशीनों को
तैयार करने में वे लगे हुए हैं।
धर्मवीर
के मुताबिक दो हॉर्स पॉवर की इस मशीन से एक घंटे में 200 किलो हर्बल
प्रोडक्ट या फलों की प्रोसेसिंग की जा सकती है। धर्मवीर इस मशीन को चलाने
के लिए दो दिन का प्रशिक्षण भी देते हैं। उनका दावा है कि इस मशीन को गांव
की औरतें भी आसानी से चला सकती हैं और इससे अच्छा रोजगार प्राप्त कर सकती
हैं।
Source: bhaskar.com
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