सारे
पौधे खुद की नर्सरी में तैयार किए थे। पौधों को पहाड़ी पर पानी मिलता रहे
इसीलिए एक लाख जल संरचनाएं (कंटूर ट्रेंच) भी बनाई। अब पौधों की उम्र तीन
माह हो गई है। राम मप्र वनौषधीय कृषि भूषण पुरस्कार से सम्मानित हो चुके
हैं।
हरी-भरी
होने की ओर तेजी से अग्रसर पहाड़ी को देख राम कहते हैं बचपन से ही उजाड़
पहाड़ियां को देखता आया हूं, सोचता रहता था कि ये हरी-भरी क्यों नहीं हैं।
बड़ा होकर खेती शुरू की, उसी से समृद्ध हुआ। फिर वही सवाल कौंधा कि ये
पहाड़ी क्यों हरी-भरी नहीं हो सकती और मैंने ऐसा करने की ठान ली।
खेत
की एक सीजन की कमाई लगभग 15 लाख रुपए मैंने कुंदा की पहाड़ी पर पौधे
रोपने, जल संरचना निर्माण के लिए खर्च कर दी। अब दिल को सुकून है कि तेजी
से बढ़ रहे पौधे जब पेड़ बन जाएंगे तो पहाड़ी एक उदाहरण होगी।
अकेली पहाड़ी होगी 121 त्रिवेणी वाली
राम
का दावा है कि यहां पहाड़ी पर 121 त्रिवेणी यानी पीपल, नीम और बड़ के पौधे
एक साथ लगाए हैं। जब यह बड़े होंगे, तो यह समूचे मप्र की संभवत: पहली
पहाड़ी होगी, जहां 121 त्रिवेणी एकसाथ नजर आएंगी।
Source: bhaskar.com
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